शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है : इस दुनिया में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए संतानों उत्पत्ति करनी होती हैं एवं इस प्रक्रिया में विज्ञान भी सम्मिलित हैं
जब भी संतान उत्पन्न करने की बात आती है तो इनमें पुरुषों की ओर से शुक्राणु एवं महिलाओं की ओर से अंडाणु एक अहम भूमिका निभाते हैं एवं इन दोनों के संयोजन से ही एक महिला के गर्भ में शिशु का भ्रूण बन पाता है
अगर इस प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी होती है तो गर्भधारण में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और कई बार यह समस्याएं बहुत अधिक ज्यादा बढ़ भी सकती हैं
पर अक्सर संतानोत्पत्ति करने का मन बना चुके जोड़ों के मन में यह आशंका बनी रहती है कि शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है एवं वह किस प्रकार से अंडाणु के भीतर निषेचित होता है तो आज के इस लेख में हम इसे विषय से संबंधित बहुत सी जानकारियों को आपके साथ साझा करने वाले हैं

शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है
अगर किसी महिला को गर्भवती होना है तो इसके लिए उसके शरीर में बनने वाले अंडाणु का पुरुष शरीर से निकलने वाले शुक्राणुओं के साथ मिलकर निषेचित होना जरूरी है एवं इस निश्चित प्रक्रिया के घटित होने के बाद ही उसके शरीर में गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती हैं
इस प्रक्रिया के घटित होने से पहले स्त्री शरीर के अंडाणु में शुक्राणु का पहुंचना जरूरी होता है जो कि 24 से लेकर 48 घंटों के भीतर उसके अंडाणु में निषेचित होता है
हालांकि शुक्राणु स्त्री के शरीर में 4 से 5 दिनों तक जीवित रह सकता है पर उसकी मोटिलिटी कम हो जाती है, इस कारण से वह अंडाणु तक एवं इसके अलावा स्त्री शरीर के आंतरिक शीर्ष अंगों तक नहीं पहुंच पाता है
किसी शुक्राणु की मोटिलिटी का अर्थ है, अंडाणु की ओर जाने की उसकी गति अर्थात कि जिस रफ्तार से वह अंडाणु की ओर निसेचीत होने के लिए जाता है, वह धीरे-धीरे कम होती रहती हैं
इस कारण से पहले 24 से 48 घंटों में ही अंडाणु शुक्राणु के साथ निषेचित हो सकता है
कुछ महिलाओं में ऐसी समस्याएं भी होती हैं कि बार-बार पुरुषों द्वारा शुक्राणु उनकी योनि में निश्चित करने के बावजूद भी गर्भधारण नहीं हो पाता है तो ऐसे में उन महिलाओं को बांझपन की समस्या होती है
सामान्य तौर पर एक पुरूष शरीर द्वारा एक बार में 10 लाख शुक्राणुओं की संख्या निश्चित की जाती हैं परंतु अंत में जाते समय केवल एक शुक्राणु ही अंडे में भेद को पाकर सही ढंग से निश्चित हो पाता है
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनका जीवित ना रहना है क्योंकि एक निश्चित समय अवधि के बाद वह स्त्री शरीर में अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं
आपने कहीं से लगभग 5 दिनों की अवधि को भी पढ़ा होगा जिसमें कि शुक्राणु अंडाणु में जाकर निषेचित होते हैं परंतु यह अवधि किसी भी स्त्री शरीर के आंतरिक अंडाणु पर निर्भर करती हैं
अत: मोटे तौर पर 24 घंटों से लगाकर 7 दिनों के भीतर कोई भी शुक्राणु स्त्री शरीर के भीतर जाकर किसी अंडाणु के साथ निषेचित हो सकता है एवं स्त्री गर्भवती हो सकती है
शुक्राणु क्या हैं
शुक्राणु किसी भी पुरुष शरीर के वीर्य में स्थित वह तत्व होता है जिसके द्वारा किसी स्त्री को गर्भवती किया जा सकता है और संतानों उत्पत्ति की जा सकती हैं
यह मुख्य तौर पर पुरुषों के वर्षणों यानी कि टेस्टिकल्स में बनता है और वहां पर गतिविधियों के द्वारा ही इसका निर्माण वीर्य में हो जाता है
आपको किसी सूक्ष्मदर्शी से देखने पर यह एक लंबी लाइन की तरह दिखाई देगा, जिसके अग्रभग पर एक कैप भी होती है और इसी कैप द्वारा यह किसी अंडाणु में जाकर उसे निषेचित करता है एवं उस अंडाणु को भेदता है
शुक्राणु की महत्वपूर्ण भूमिका
शुक्राणु की अहम भूमिका संतानों उत्पत्ति में ही मानी जाती हैं क्योंकि इसके बिना कोई महिला गर्भवती नहीं हो सकती हैं एवं उसके शरीर में मौजूद अंडाणु में कोई गर्भधारण नहीं हो सकता है
शुक्राणुओं को एक छोटी कोशिका के तौर पर ही माना जाता है जो कि है हेपलाइड होती है अर्थात की इनमें कुल 23 गुणसूत्र पाए जाते हैं
और इन्हीं गुणसूत्रों के आधार पर कोई भी संतान अपने गुणों को प्राप्त करती हैं अर्थात की इसी के आधार पर कोई बच्चा अपनी मां या बाप के समान दिखाई देता हैं
इसका निर्माण पुरुष शरीर में मौजूद टेस्टिकल्स में लगातार चलता रहता है क्योंकि इनका वीर्य के साथ गहरा संबंध है क्योंकि जितना ज्यादा वीर्य गाढ़ा होगा उतना ही शुक्राणु भी मजबूत होगा
शुक्राणु की पहुंच
शुक्राणु की पहुंच से तात्पर्य है कि यह किस गति से अंडाणु की ओर जाता है क्योंकि कई बार देखने को मिलता है कि नव दंपतियों द्वारा बहुत ज्यादा बार से*क्स करने के बावजूद भी उन्हें संतानों उत्पत्ति नहीं हो पाती हैं
तो ऐसे में शुक्राणुओं का स्त्री शरीर में मौजूद अंडाणु एक निश्चित समय में ना पहुंच पाना होता है क्योंकि अगर एक निश्चित समय के भीतर यह दोनों मिलकर अंडाणु को निषेचित नहीं करेंगे तो जायगोट अर्थात की स्त्री शरीर में भ्रूण नहीं बनेगा
शुक्राणु की पहुंच कैसे होती है
हम जब भी शुक्राणु का चित्र देखते हैं तो इसकी आकृति एक तंतु की तरह दिखाई देती हैं जिसका अग्रभाग थोड़ा सा चौड़ा एवं लास्ट भाग एक तंतु की तरह मुड़ा हुआ होता है
जो इसका अगला भाग होता है वही अंडाणु में जाकर अपने आपको निश्चित करता है और यह जितना ज्यादा हल्का होगा उतनी ही गति से उस अंडाणु की ओर अग्रसर हो पाएगा
पर यह शुक्राणु की छोटे बड़े हो सकते हैं एवं इनमें से भी कुछ कमजोर होते हैं जो कि शुरुआती चरणों में ही नष्ट होकर समाप्त हो जाते हैं परंतु इनमें से जो एक शुक्राणु सबसे अधिक मजबूत होता है वही जाकर अंडाणु के साथ निसेचित हो पाता है
शुक्राणु की गति और कारक
शुक्राणुओं की अंडाणु की ओर जाने की गति को उसकी मोटिलिटी रेट कहा जाता है अर्थात की उसकी गति कि वह किस रफ्तार से स्त्री शरीर में मौजूद अंडाणु से निसेचित होने के लिए जा रहा है
शुक्राणु की पहुंच और गति को कैसे मापा जाता है
शुक्राणुओं की पहुंच और उसकी गति को मापने के लिए किनो मैट्रिक्स विधि का प्रयोग किया जाता है और साथ ही यह कितना गाढ़ा होकर वीर्य के साथ फलित होता है, इस की भी इसमें जानकारी देखने को मिलती है
शुक्राणुओं की पहुंच इनकी गति पर बहुत ज्यादा हद तक निर्भर करती हैं क्योंकि अगर यह एक निश्चित गति से स्त्री शरीर में गमन नहीं करेंगे तो वह अंडो तक पहुंचने में असक्षम हो जाएंगे
अंडे तक पहुंचने में समय
जैसा कि हम पूर्व में ही चर्चा कर चुके हैं कि एक मोटे तौर पर देखा जाए तो 24 घंटे से लेकर 7 दिनों के भीतर कोई भी शुक्राणु अंडे तक पहुंच सकता है और जायागोट बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर सकता है जिसे की भ्रूण बनने की प्रक्रिया भी कहा जाता है
एक अंडे तक पहुंचने में शुक्राणु को कितना समय लगता है
किसी पुरुष के शुक्राणु को एक महिला शरीर में मौजूद अंडाणु तक पहुंचने में लगभग 24 से 48 घंटों का समय लगता है
तो ऐसे में अगर कोई महिला गर्भवती होना चाहती हैं तो उसे ओव्यूलेशन की प्रक्रिया के दौरान ही शारीरिक संबंध स्थापित करने चाहिए ताकि अंडाणु का उचित प्रकार से निषेचन हो सके
शुक्राणु की पहुंच में प्रभावकारी कारक
आमतौर पर एक स्वास्थ्य शरीर में ही एक स्वास्थ्य शुक्राणु पैदा हो सकता है तो ऐसे में उन सभी अनुचित आचरणों का त्याग करना चाहिए जो कि इसे बनाने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं
उदाहरण के तौर पर शराब का सेवन करना या धूम्रपान करना भी काफी हद तक इसे प्रभावित करता है परंतु उचित खानपान एवं लाइफस्टाइल का ध्यान रखते हुए इन शुक्राणुओं की संख्या और इनकी की क्वालिटी को मेंटेन किया जा सकता है
शुक्राणु की पहुंच बढ़ाने के उपाय
शुक्राणुओं की पहुंच बढ़ाने के लिए सबसे आवश्यक हैं एक हेल्दी लाइफ़स्टाइल क्योंकि अन हेल्थी लाइफस्टाइल से ना तो आपका शरीर फिट रहता है और ना ही आपके शरीर में मौजूद आंतरिक हार्मोन स्वास्थ्य रहते हैं
जैसा कि हम जानते हैं कि इसका संबंध हमारे वीर्य के साथ रहता है तो ऐसे में उसका नाश भी नहीं करना चाहिए क्योंकि हस्तमैथुन आदि प्रक्रियाओं द्वारा इसकी संख्या भी कम होती हैं एवं इसकी क्वालिटी भी बिगड़ती है
स्वस्थ लाइफस्टाइल की महत्वपूर्णता
अपने स्पर्म काउंट को बढ़ाने के लिए आप एक हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने के साथ-साथ सुबह योगा को एवं हल्के व्यायाम को महत्वता दें और हो सके तो रनिंग भी करें जिससे कि इंटॉक्सिक तत्व आपके शरीर से बाहर निकल सके
आपको एल्कोहल एवं धूम्रपान का पूर्णता त्याग करना चाहिए क्योंकि यह शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ ही हारमोनियल डिस ऑर्डर को भी जन्म देते हैं और कई बार यह देखा जाता है कि पुरुषों का सेक्स के प्रति बहुत कम रुझान होता है
आहार, व्यायाम, निद्रा और तनाव का प्रभाव
शरीर में कोई भी समस्या होने पर इसके पीछे कुछ सामान्य वजह भी होती हैं जैसे कि उचित आहार एवं उचित व्यायाम का सहारा ना लेना और बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हुए कार्य करना
उपयुक्त सभी चीजें आपके स्पर्म काउंट पर भी प्रभाव डालती हैं क्योंकि अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस में किसी कार्य को या ऑफिस वर्क कर रहे हैं
तो आपका सेक्स के प्रति कई बार रुझान भी घटने लगता है और आपके पार्टनर के साथ आपके सेक्सुअल रिलेशनशिप भी खराब हो जाते हैं
अपने आहार में प्रोटीन से भरपूर तत्वों को शामिल करना चाहिए जैसे कि अंडे एवं हरी सब्जियां साथ ही दालों का प्रयोग भी भरपूर मात्रा में करना चाहिए क्योंकि यह शाकाहारी व्यक्तियों के लिए प्रोटीन का सर्वोत्तम स्रोत होती हैं
बहुत ज्यादा ऑइली एवं मिर्च मसालों से युक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए क्योंकि यह हमारे खून को भी खराब करते हैं जिससे कि स्पर्म काउंट में भी इफेक्ट पड़ता है
संभावित परेशानियां और समाधान
आज के समय में बहुत सारी महिलाओं एवं पुरुषों को इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है जिसे कि बांझपन कहा जाता है और मुख्य तौर पर महिलाओं को इसके बारे में बहुत से तानो को भी सुनना पड़ता है
यह बात तो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि जब तक स्पर्म अंडाणु के साथ निसेचित नहीं होगा, तब तक स्त्री शरीर में किसी भी प्रकार के गर्भ का धारण होना असंभव है और किसी भी भ्रूण का निर्माण भी होना असंभव है
एक निश्चित अवधि के बाद स्त्री शरीर में उत्पन्न होने वाले अंडाणु भी नष्ट हो जाते हैं और साथ ही निश्चित होने वाले इस पर भी नष्ट हो जाते हैं तो ऐसे में बार बार शारीरिक संबंध स्थापित करने के बावजूद भी गर्भधारण नहीं हो पाता हैं
शुक्राणु की पहुंच में सामान्य समस्याएँ
- अंडाणु की ओर शुक्राणुओं के पहुंचने की एक निश्चित गति में कमी होना इसके लिए सबसे बड़ी वजह है
- अन हेल्थी लाइफस्टाइल की वजह से स्पर्म की क्वालिटी का घट जाना
- एक निश्चित संख्या में पुरुषों के शरीर से शुक्राणुओं का स्त्राव इतना होना जिससे कि अंतिम शुक्राणु में अंडाणु तक पहुंचकर निसेचित नहीं हो पाता है
- वीर्य का बहुत ज्यादा गाढ़ा हो जाना जिससे कि उसमें मौजूद शुक्राणु अंडाणु की और एक निश्चित गति से नहीं पहुंच पाते हैं क्योंकि गाढ़ा होने से यह स्त्री शरीर के आंतरिक अंगों तक पहुंचने में असहज हो जाते हैं
- अनावश्यक हस्तमैथुन द्वारा आंतरिक स्पर्म क्वालिटी का घट जाना
- बहुत ही कम मात्रा में स्पर्म का स्रावित होना जिससे कि वह स्त्री के आंतरिक अंगों तक नहीं पहुंच पाते हैं
- पुरुषों के टेस्टिकल एरिया में सूजन आ जाना या वहां पर किसी भी प्रकार की ब्लॉकेज आने पर एक निश्चित प्रकार से इन शुक्राणुओं का स्त्रावण नहीं होता है
- कभी-कभी किसी इंफेक्शन के कारण भी स्पर्म काउंट एवं उसकी पहुंच कम होने लगती है जैसे कि एचआईवी या गोनोरिया इत्यादि क्योंकि इनमें स्पर्म पुरूष शरीर के अंदर ही नष्ट होने लग जाते हैं साथ ही बहुत ही कम मात्रा में भी बनते हैं
शुक्राणु की पहुंच बढ़ाने के उपाय
शुक्राणुओं की पहुंच बढ़ाने के लिए अनावश्यक वीर्य नाश से बचना चाहिए क्योंकि यह स्पर्म की क्वालिटी को खराब करता है
इंफेक्शन या कोई बीमारी होने पर किसी अच्छे से यौन रोगों संबंधी विशेषज्ञ से चर्चा करनी चाहिए साथ ही प्रॉपर इलाज लेना चाहिए
इस बीमारी को मेडिकल की भाषा में ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है जोकि शुक्राणुओं की संख्या का कम होना दर्शाता है तो ऐसे में उन आहार तत्वों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए जिनमें प्रोटीन आयरन की मात्रा अधिक हो
साथ ही जिनके युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी करना चाहिए क्योंकि यह इसकी मोटिलिटी रेट को बढ़ाने में सहायता करता है
FAQs : शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है
सवाल : शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में समय कितना लगता है?
किसी भी शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में 8 से 10 घंटे का समय लगता है
सवाल : कोई स्त्री किस प्रकार से जान सकती हैं कि अंडाणु में शुक्राणु प्रवेश कर गया है?
इसे जानने के लिए केवल गर्भावस्था परीक्षण ही एकमात्र उपाय हैं जो कि आप घर बैठे भी किसी प्रेगनेंसी किट द्वारा जान सकते हैं
सवाल : एक स्त्री शरीर में शुक्राणु कितने दिनों तक जीवित रह सकता है?
अगर 4 से 5 दिन में उस शुक्राणु का निषेचन अंडे के साथ ना हो तो वह फिर नष्ट हो जाता है
सवाल : अंडोत्सर्ग क्या होता है?
एक शुक्राणुओं द्वारा अंडे के अंदर निषेचत होकर गर्भधारण करवाने की प्रक्रिया को अंडोत्सर्ग कहा जाता है
सवाल : एक पुरुष शरीर से एक बार में कितने शुक्राणु स्रावित होते हैं?
एक बार में 10 लाख से अधिक शुक्राणु पुरूष शरीर से स्रावित होते हैं
सवाल : एक अंडे के पास कितने शुक्राणु निषेचित होने के लिए आते हैं?
स्त्री शरीर में मौजूद अंडे के पास एक बार में 200 शुक्राणु निषेचित होने के लिए आते हैं, परंतु उनमें से केवल एक ही अंडे में जाकर निश्चित हो पाता है
Conclusion
इस ब्लॉग में हम ने जाना शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में काफी समय लगता है। यह एक लंबी और संगीन प्रक्रिया है जिसमें शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने के लिए कई प्रकार की गतिविधियां जैसे कि मूत्र नाली के माध्यम से गति प्राप्त करना, अंडे की ओर आगे बढ़ना, और अंडे की परत को छेदना शामिल होती है।
यह समय प्रक्रिया कई मामलों पर निर्भर करता है, जैसे कि शुक्राणु की स्वास्थ्य स्थिति, अंडे की स्थिति और आपूर्ति, अंडे तक की दूरी, और गर्भाशय की स्वास्थ्य स्थिति आदि। इन सभी कारकों के संयोग से शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में समय भिन्न-भिन्न हो सकता है।
यदि अभी भी आप के मन में यह सवाल है की शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है तो सामान्य रूप से, शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में लगभग 12 से 24 घंटे का समय लगता है,
लेकिन यह समय विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। गर्भावस्था प्राकृतिक और जटिल प्रक्रिया है, जो आमतौर पर समय के साथ होती रहती है और आपके चिकित्सक द्वारा निर्देशित की जानी चाहिए।